उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तपिश भले ही थम गई हो लेकिन प्रदेश की राजनीति इन दोनों गरमाई हुई है जहां एक तरफ बीजेपी के तमाम दिग्गज एक दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं तो वहीं अब सरकार के एक फैसले ने इस हाई टेंपरेचर में घी डालने का काम किया है। उधर कांग्रेस ने उत्तराखंड में 7% बढ़ी बिजली की दरों को लेकर धामी सरकार को घेरा है।
प्रदेश में 7% बिजली की दरों में बढ़ोतरी होने के बाद सियासी घमासान मच गया है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की नई बढ़ी हुई दरें जारी कर दी है जो 1 अप्रैल से प्रभावी होगी। कांग्रेस ने बिजली की दरों को बढ़ाने की टाइमिंग पर धामी सरकार पर आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि यदि बिजली के दाम में बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू की गई तो फिर इसे 1 अप्रैल से पहले ही इसकी घोषणा क्यों नहीं की गई विपक्ष ने सरकार पर जनता को महंगाई में धकेलना का आरोप लगाया है वहीं भाजपा का कहना है कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने जो बढ़ोतरी की है वह सामान्य है बिजली कटौती न इसके लिए यूपीसीएल को बिजली भी खरीदनी पड़ती है ऐसे में राज्य में सभी पहलू को देखते हुए इस तरह की फैसला लिया जाता है। बता दे की 19 अप्रैल को हुए मतदान के बाद 26 अप्रैल को बिजली के दाम बढ़ाने की घोषणा की गई यह दरें इसी महीने अप्रैल से लागू होगी। इस बीच सवाल यह उठ रहा है कि यदि बिजली के दाम में बढ़ोतरी एक अप्रैल से लागू की गई तो फिर 1 अप्रैल से पहले ही इसकी घोषणा क्यों नहीं की गई।