Fight Starts Inside : उत्तराखंड बीजेपी में टिकट बंटवारे के बाद पार्टी के भीतर घमासान शुरू हो गया है। उत्तराखंड बीजेपी ने अपनी पहली सूची में कुल 59 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है इस सूची में कई बड़े विधायकों के नाम काटे गए हैं। साथ ही टिकट पाने की चाह रखने वाले नेताओं को टिकट ना मिलने पर भी ऐसे नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। इसी कड़ी में नरेन्द्रनगर विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे टिकट के दावेदार ओम गोपाल रावत ने भाजपा नेतृत्व के फ़ैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दिया है।
Fight Starts Inside : कांग्रेस में जाने का किया ऐलान
ओम गोपाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए गोली खाने वाले वह इकलौते आंदोलनकारी थे जो भाजपा से टिकट माँग रहे थे लेकिन पार्टी ने विचारधारा को तिलांजलि देकर उत्तराखंडियों को हरामखोर कहने वाले नेता को टिकट दे दिया है। रावत ने कहा कि अब मजबूरन उनको भी दूसरी विचारधारा की तरफ़ जाना पड़ रहा है। इसके लिए वह कांग्रेस में जाने का मन बना चुके हैं। बता दें कि बीजेपी ने नरेंद्र नगर से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को टिकट दिया है। वहीं थराली विधायक मुन्नी देवी शाह ने टिकट कटने के बाद नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी नेताओं ने पैसे लेकर टिकट बेचा है. साथ ही बीजेपी को निर्देलीय चुनाव लड़ने की भी चेतावनी दी है.
द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी का भी कटा टिकट
Fight Starts Inside : वहीं द्वाराहाट से बीजेपी विधायक महेश नेगी ने भी अपना टिकट कटने पर पार्टी के कुछ नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होने पत्रकारों से बातचीत में अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उन्हें सबसे अधिक दुख इसलिए है कि उन्होने पार्टी के लिए सबसे ज्यादा कार्य किया बावजूद इसके उन्हें टिकट नहीं दिया…..साथ ही आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर के कुछ लोगों ने विपक्ष के साथ मिलकर उनका टिकट काटवाने की साजिश रची है। बता दें कि द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी पर एक महिला ने पांच सितंबर 2020 को देहरादून में यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। उनके टिकट कटने का सबसे बड़ा आधार भी यही प्रकरण माना जा रहा है. बता दें कि बीजेपी ने द्वाराहाट से उनकी जगह अनिल शाही को उम्मीदवार बनाया है।
कुल मिलाकर चुनाव से पहले बीजेपी में मचे इस घमासान ने पार्टी नेताओं की टेंशन को बढ़ा दिया है। हांलाकि टिकट वितरण के बाद इस तरह की नाराजगी स्वाभाविक है लेकिन सवाल ये है कि क्या एकाएक बीजेपी के दिग्गज नेताओं की बाहर आ रही नाराजगी बीजेपी को चुनाव में भारी पड़ेगी। क्या पार्टी के शीर्ष नेता ऐसे नाराज विधायकों और कार्यकर्ताओं को मनाने में सफल हो पाएंगे। क्या पार्टी के नाराज नेता अब कांग्रेस की मजबूती का सहारा बनेंगे ऐसे अनगिनत सवाल है जिसके जवाब का सबको इंतजार है।
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