Cave Of Treasure : उत्तराखंड राज्य में कई ऐसे रहस्यमाई जगह है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में ऐसी जगह के बारे में जहां पर सोने-चांदी का एक बहुत बड़ा खजाना छुपा हुआ हैं, अगर ये खजाना मिल जाये तो भारत को विश्व का सबसे अमीर देश बना देगा | जी हां यह सच है उत्तराखंड के पिथोरागढ जिले में स्थित एक कस्बा अस्कोट में। एक गुफा है जिसमे में इतना खजाना छिपा है जिसको हर कोई व्यक्ति पाना चाहता है और इसके लिए पूरी दुनिया में हलचल है। यह खजाना पिथोरागढ में स्थित अस्कोट की पहाड़ी के नीचे दबा है। बताया जाता है कि गुफा में इतना खजाना है जो भारत को विश्वा में अमीर देश बना सकता है।
Cave Of Treasure : गुफा में छीपी है सोने-चांदी का कीमती खजाना
गांव के पूर्वजो का कहना है कि इस गुफा में बहुत कीमती धातुओं (सोना चाँदी ) का खजाना भरा है। धातु ऐसी जिसको पूरी दुनिया चाहती है । अस्कोट के बड़ी गांव क्षेत्र में सर्वे किया गया था जिसके अनुसार सोना, तांबा, चांदी, लेड, शीशा, जस्ता आदि जैसी एक लाख पैंसठ हजार मैट्रिक टन धातु है। यहां की खनिज संपदा उत्तराखंड की हालत बदल सकने में सक्षम हो सकती है, लेकिन इस दिशा में उत्तराखंड कि तरफ से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
फिलहाल धातु को निकालने का काम पड़ा है बंद
Cave Of Treasure : इस जगह पर 30 वर्षों तक मिनरल एक्प्लोरेशन कारपोरेशन (M E C ) कम्पनी ने खनन किया था । और उन्होंने यहां से धातु निकाली थी। इससे पूर्व (D .G .M) ने यहां पर सर्वे कर धातु निकालने का कार्य किया था इस जगह को अस्कोट की तामखान (तांबे की खान) नाम से भी जाना जाता है। डीजीएम(D.G.M) के कुछ कर्मचारी अभी भी वहां पर नियुक्त हैं। जबकि एमइसी कम्पनी ने अस्कोट कस्तूरा मृग बिहार लागू होने के बाद वहां पर धातु को निकालने का काम पूरी तरह बंद कर दिया था। भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के सर्वे के आधार पर वर्ष 2003 में कनाडा की एक प्रसिद्ध गोल्ड कंपनी को इस जगह का पता चला और उसकी भारत मैं स्थित कंपनी ने भारत सरकार से अनुमति लेकर यहाँ पर फिर से सर्व किया |
Cave Of Treasure : अस्कोट के लोगों को 200 करोड़ रूपए देने का लिया था निर्णय
सर्वे की रिपोर्ट के बाद कनाडा कंपनी ने यहां पर वियापारिक रूप से कार्य करने का सोच लिया था । अस्कोट में कंपनी ने अपना ऑफिस खोला और सर्वे के लिए कनाडा से अत्याधुनिक मशीनें लाई गई । कंपनी ने यहां पर धातुओं के खनन होने पर अस्कोट क्षेत्र में रहने वाले लोगो को 200 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया था । जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोगो के लिए रोजगार के नए आयाम जुड गई थे।इसके लिए वर्ष 2007 में कंपनी ने भारत सरकार से चल रहा खनन के लिए 30 वर्ष अनुमति मांगी थी। जो कि अभी तक भारत सरकार दूवारा नहीं मिली । इसी के साथ कंपनी ने यहाँ से जाने का निर्णय लिया । अभी भी कंपनी का कार्यालय तो है, लेकिन वह बंद हो चुका है।
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