High Court Orders : बिना भूमि अधिग्रहण के ग्रामीणों की जमीन पर सड़क बनाना लोक निर्माण विभाग को भारी पड़ा है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बागेश्वर कपकोट के पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता और अधीक्षण अभियंता के खिलाफ सख़्त विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए है। कोर्ट ने सचिव लोक निर्माण विभाग को कहा है कि इन दोनों पर कार्रवाई के साथ ग्रामीणों को 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सड़क निर्माण की तिथि से अब तक का मुआवजा व्याज के साथ 2 महीने के भीतर दें। कोर्ट ने कहा है कि जब तक सभी ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक विभाग का बैंक एकाउंट सीज रहेगा।
High Court Orders : अधिकारियों ने कोर्ट को भी गुमराह किया – हाईकोर्ट
जस्टिस शरद कुमार शर्मा की कोर्ट ने कहा है कि सारी प्रक्रिया का पालन कर न्यायालय को सूचित करें । कोर्ट ने कहा कि अधिकरियों ने कोर्ट को भी गुमराह किया है लिहाजा इन पर कार्रवाई हो। दरअसल साल 2005 में सरकार ने कपकोट के भ्यूं-गुलेर सड़क निर्माण के लिए करीब 6 करोड़ की धनराशि जारी किया लेकिन इसमें ग्रामीणों को उनकी जमीन के बदले किसी भी प्रकार का मुआवजा नही दिया गया। साल 2008 में सड़क का काम पूरा हुआ तो ग्रामीण मुआवजे के लिए डीएम से लेकर सीएम तक गुहार लगाते रहे लेकिन कोई पैंसा जारी नहीं होने पर ग्रामीणों ने कोर्ट की सरण ली।
इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि नए एक्ट के तहत ही ग्रामीणों को मुआवजे का भुगतान किया जाएगा। लेकिन 2 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर हरीश पांडे समेत 8 अन्य ग्रामीण फिर कोर्ट पहुंचे तो सुनवाई के दौरान कहा कि जिस जमीन पर सड़क बनी है
High Court Orders :उसका कभी भी सरकार द्वारा अधिग्रहण किया ही नही था,जबकि डीएम बागेश्वर ने 27 अक्टूबर 2020 को लोक निर्माण विभाग की मुआवजा देने के आदेश दिए इसको भी दरकिनार करते हुए ग्रामीणों के मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया। आज कोर्ट ने इस पर बड़ा आदेश देते हुए 2 महीने में मुआवजा देने के आदेश सरकार को दिए हैं और अधिकारियों पर कार्रवाई भी करें।
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