Story Of CM Dhami : उत्तराखंड में वैसे तो कई कद्दावर नेताओं ने जन्म लिया है लेकिन एक नेता ऐसा भी हैं जिनका सौम्य और सरल भाव का आज हर कोई कायल है, बेहद कम समय में लोगों के बीच अपनी पैठ बिठाने में कामयाबी हासिल करना ये हर किसी के बसकी बात नहीं होती लेकिन ये नेता चंद दिनों में लोगों के दिलों पर राज करने लगा हैं ये और कोई नहीं बल्कि सूबे की सत्ता पर बैठे पुष्कर सिंह धामी हैं जिनका सफर एक कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का काफी दिलचस्प रहा हैं। आम कार्यकर्ता से लेकर सूबे का किंग बनने तक का सफर कैसे रहा धामी का जानिए उनके सफर की कहानी उन्हीं की जुबानी
कौन हैं उत्तराखंड का किंग
आज हम आपको उत्तराखंड की ऐसी शख्सियत से रूबरू करवाएंगे जिसके बारे में आपने सुना तो बहुत होगा लेकिन उसकी आम कार्यकर्ता से लेकर सीएम की कुर्सी तक का सफर आपको शायद ही पता होगा। हम बात कर रहें हैं सूबे के king धामी की जो कभी पीछे बैठने वाला और भाषण से बचने वाला विधायक हुआ करते थे लेकिन अब अचानक से प्रदेश की कमान कैसे संभालने लगे। जी हां आज जब किंग धामी यानी कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब धर्मनगरी हरिद्वार दौरे पर रहे तो उन्होंने वसुचंद्रपुर में स्थित कृष्णयान गौरक्षाशाला के कार्यक्रम के दौरान अपने एक आम कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के सफर का किस्सा साझा किया। सीएम धामी ने कहा कि एक दौर में सिर्फ बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे उस समय भले ही वे विधायक थे लेकिन भाषण देने से भी कतराते थे।
चर्चाओं तक सीमित रहा नाम-सीएम
सीएम धामी ने कहा कि भाजपा सरकार की तरफ से जब-जब मंत्रिमंडल का गठन या विस्तार किया जाता तो उनका नाम भी हमेशा सुर्खियों में रहता था लेकिन वे नाम चर्चाओं तक ही सीमित रहता था।
देहरादून से पैक कर लिया था समान-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि एक वक्त ऐसा भी आया था जब उनको बहुत निराशा हाथ लगी और उन्होंने प्रण लिया था कि अब वे 2022 के चुनाव के बाद ही देहरादून आएंगे। उससे पहले वह राजधानी का रूख भी नहीं करेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने अपना सारा सामान पैक कर अपनी विधानसभा क्षेत्र खटीमा के आवास में शिफ्ट कर दिया था।
तीरथ के सीएम बनने के समय भी चर्चाओं में रहा नाम
सीएम ने कहा कि जब तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो उनका नाम डिप्टी सीएम बनाने की रेस में सबसे आगे रहा लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। सीएम ने आगे बताया कि सत्ता की कमान मिलने से पहले न तो उनके पास राष्ट्रीय कार्यालय और ना ही प्रदेश कार्यालय से फोन आया। इतना ही नहीं किसी बड़े नेता ने भी उन्हें फोन करके नहीं बताया कि वह उत्तराखंड के अगले सीएम होंगे।