Bjp Divided Two Leader : उत्तराखंड की सियासत में एक समय ऐसा भी था जब कोश्यारी और खंडूरी गुट का बोल बाला चलता था लेकिन इन दिनों प्रदेश की राजनीति का नया दौर शुरू हो चुका है। इस नए दौर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दो अलग-अलग गुटों के रूप में देखा जा रहा है। तो वही पार्टी के इन दिग्गजों के यू खेमे में बटने से बीजेपी की चिंताएं भी कहीं ना कहीं बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
Bjp Divided Two Leader : बिगड़ी गणित
Bjp Divided Two Leader : प्रदेश की राजनीति में अक्सर गुटों का गणित सत्ता का समीकरण बदलने के लिए चर्चाओं में रहता है। जहां गुटों के भंवर में फंसी कांग्रेस आज भी इस पिंजरे से निकलने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है। तो वहीं अब सत्ता में काबिज भाजपा भी तरकस से निकले दो तीरों से गुटों का नया अध्याय लिख रही है। यह दोनों ही नेता उत्तराखंड की राजनीति के जाने-माने चेहरे है। ऐसे में सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच छिड़ी जंग पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है।
Bjp Divided Two Leader : बता दे की जब भी प्रदेश में राजनेताओं की गुटबाजी का जिक्र होता है तो कांग्रेस को हमेशा अधिक वोट मिले है। आलम ये है कि कांग्रेस की अंतरकालेह और गुटबाजी ने पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन जो अब समीकरण बन रहे है उसमें अनुशासित कही जाने वाली भाजपा में राजनीतिक द्विंद का माहौल अधिक प्रभावी दिखाई दे रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि 10 सालों में पहली बार नेताओं का टकराव सतह पर दिखाई दे रहा है। अगर ताजा टकराव की शुरुआत करें तो पहली चिंगारी तब लगी जब धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक एसएलपी वापस लेने का फैसला लिया। भले ही यह एक सामान्य प्रक्रिया लगती हो लेकिन अंदर खाने की बात कुछ और ही बयां करती है।
Bjp Divided Two Leader : एसएलपी 2020 उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। इस दौरान हाईकोर्ट द्वारा पत्रकार उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने का था तब त्रिवेंद्र सिंह रविंद्र उत्तराखंड के मुख्य थे और सरकार उनकी थी और सरकार की ओर से मामला दायर किया गया था लेकिन अब समीकरण बदल गए है और अब सत्ता की कमान सीएम धामी के हाथों में है और चेहरा भी अलग है।
Bjp Divided Two Leader : यही वजह है कि धामी सरकार ने एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने का कदम उठाया है उधर सीएम धामी के फैसला वापस लेने के बाद विवाद बढ़ गया जिसके बाद सरकार को यू-टर्न लेते हुए एसएलपी को यथावत रखने का फैसला किया गया। इस बीच मामला इतना बढ़ गया कि तब तक धामी और त्रिवेंद्र के बीच की दूरियां अधिक हो गई। ऐसे में इस प्रकरण के बाद से ही कयास लगाए जा रहे है कि पार्टी दो खेमों में बटती हुई दिखाई दे रही है।