Pain Of Lohari Village : दूसरों को देकर रोशनी खुद इतिहास बन कर रह गया यह गांव, जाने यहां के लोगों की पीड़ा

 

Pain Of Lohari Village :

Pain Of Lohari Village : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लोहारी गांव ने अब हमेशा के लिए बांध की झील में जल समाधि ले ली. जहां पर 71 से ज्यादा परिवारों का रहने वाला यह लोहारी गांव अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही पड़ा और देखा जाएगा. अब यहां पर सिर्फ 35 लोग ही मौजूद है जो गांव से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी परॉ पूर्व प्राथमिक विद्यालय में शरण लिए हुए बैठे हैं. चूंकि, रहना अब खतरे से खाली नहीं है लेकिन फिर भी वह जमीन छोड़ना नहीं चाहते हैं.

Pain Of Lohari Village : 1972 में व्यासी जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी गई थी.

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दरअसल, लोहारी गांव के लोगों को लगभग 1 हफ्ते पहले प्रशासन ने नोटिस दिया था कि गांव जल्दी जल समाधि ले लेगा.इसलिए इस गांव को सभी ग्रामीण छोड़ दें. बता दें कि 1972 में व्यासी जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी गई थी. जिसके बाद यह पूरा इलाका बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आ गया था.

सरकार ने उस समय गांव वालों को विस्थापित करने और कंपनसेशन भी दिया. ऐसे में व्यासी जल विद्युत परियोजना को सबसे पहले जेपी कंपनी ने बनाया लेकिन साल 1990 में एक पुल के टूटने के कारण यह डैम फिर से अधर में लटक गया. जिसके बाद NTPC कंपनी ने इस बांध को बनाने का ठेका लिया और लंबी जद्दोजहद के बाद यह डैम फिर से अधर में लटका रहा.

Pain Of Lohari Village :अप्रैल 2022 में प्रशासन ने लोहारी गांव के लोगों को नोटिस दिया

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वहीं, साल 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार आने के बाद यह डैम उत्तराखंड जल विद्युत निगम को दिया गया. हालांकि, इस परियोजना का काम लगभग पूरा काम हो चुका है और जल्द ही उत्पादन भी शुरू हो जाएगा. यही वजह है कि अप्रैल 2022 में प्रशासन ने लोहारी गांव के लोगों को नोटिस दिया कि यह गांव कब खाली कर दिया जाए. प्रशासन के नोटिस देने के बाद उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने धीरे धीरे पानी की मात्रा बढ़ानी शुरू कर दी, जिसके बाद रविवार से डैम के झील का पानी लोहारी गांव के खेतों तक पहुंच गया.

 2012 में इसकी फिर से हुई शुरुआत

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Pain Of Lohari Village : व्यासी बांध परियोजना को लेकर ग्रामीण एक दूसरे को दर्द बयां कर सांत्वना देकर अपना मन हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं. इस बारे में स्थानीय निवासी बताते हैं कि 1972 से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था लेकिन 1990 के बाद ही बंद हो गया था. उत्तराखंड बनने के बाद 2012 में इसकी फिर से शुरुआत हुई लेकिन गांव के लोगों को मुआवजे के नाम पर सिर्फ ठगा गया. जमीन के बदले जमीन देनी चाहिए थी.

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टिहरी बांध के विस्थापितों को जो मुआवजा देगी दिया गया उसके मुकाबले यहां कुछ भी नहीं दिया गया . व्यासी जल विद्युत परियोजना के लिए लोहारी गांव को खाली कराने के लिए प्रशासन ने 48 घंटे का अल्टीमेटम गांव वालों को दिया था. क्योंकि 48 घंटे बाद पानी धीरे-धीरे पूरे गांव को अपनी चपेट में लेगा.

Pain Of Lohari Village : चुनाव के चलते प्रक्रिया में लगी हुई थी रोक

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इस मामले में ADM शिवकुमार का कहना है कि परियोजना का काम पूरा हो चुका है और इसमें पानी की फिलिंग करनी बाकी रह गई है . उन्होंने कहा कि चुनावों के चलते यह प्रक्रिया रुकी हुई थी अगर चुनाव नहीं होते तो लगभग 4 महीने पहले ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाती.

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