Chithara Land Scam : यूपी के चिटहरा भूमि घोटाले में उत्तराखंड के तीन बड़े अधिकारियों के परिजनों के नाम सामने आने पर प्रदेश में हलचल पैदा हो गई है। इस घोटाले में गैंगस्टर यशपाल तोमर के साथ उत्तराखंड के IAS और IPS अधिकारियों के परिजनों पर भी मुकदमा दर्ज हुआ है। ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि इस भूमि घोटाले में उत्तराखंड के जिन तीन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के परिजनों सामने आए हैं उन पर जल्द एक्शन लिया जा सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद कार्रवाई की बात करते हुए कह चुके हैं कि कानून अपना काम कर रहा है और जरूरत पड़ने पर उत्तराखंड सरकार इस मामले की जांच करा सकती है।
Chithara Land Scam : क्या है पूरा मामला
यूपी के ग्रेटर नोएडा जिले के दादरी थाने के ग्राम चिटहरा और प्रबंधन समिति द्वारा जुलाई 1997 को 282 लोगों को कृषि भूमि आवंटन का प्रस्ताव दिया गया था ऐसे में उस समय के डीएम द्वारा 20 अगस्त 1997 को स्वीकृति प्रदान की गई।
आरोप है कि मुख्य आरोपी यशपाल तोमर ने बेलू, कर्मवीर और कृष्णपाल के नाम सैकड़ों बीघा जमीन चिटहरा निवासी बनाकर पट्टा कराएगा लेकिन जांच में पता चला कि ये लोग इतने गरीब है कि न ही पढ़ना जानते है और न ही लिखना। इतना ही नहीं इन लोगों के नाम से जमीन की पावर आॅफ अटार्नी अपने परिचित नौकर के पुत्र वीरेंद्र सिंह के नाम करा दी गई।
इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
Chithara Land Scam : मामले के खुलने के बाद उत्तराखंड के गैंगस्टर यशपाल तोमर और चिटहरा भूमि घोटाले के मुख्य आरोपी यशपाल तोमर समेत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि जिन 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है उसमें से उत्तराखंड के सचिव मुख्यमंत्री आईएएस मीनाक्षी सुंदरम के ससुर, एमडीडीए सचिव आईएएस बृजेश संत के पिता और उत्तराखंड के डीआईजी राजीव स्वरूप की माता सरस्वती देवी का नाम भी शामिल है।
इस मामले में जिन अधिकारियों के नाम सामने आए है ये तीनों लोग हरिद्वार में डीएम और एसएसपी के पद पर तैनात रहे है। इसी दौरान उन्होंने यशपाल तोमर की मदद की और यही वजह है कि आरोपी ने उत्तराखंड में करोड़ों रुपए के ज्यादा की अवैध संपत्ति खड़ी कर दी। हालांकि ये बात भी सामने आ रही है कि इन अधिकारियों ने सीधे संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं लिया है लेकिन अवैध संपत्ति का बड़ा हिस्सा अपने परिजनों के नाम करवाया दिया।
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