Flow Of Shambhu River Stopped : उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से हमेशा से ही संवेदनशील राज्य है। यहां कब प्राकृति अपना रोद्र रूप दिखा दें ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है। हर वर्ष भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने समेत कई प्राकृतिक आपदाएं अपना तांडव मचाती है और इन आपदाओं की वजह से आमजन और सिस्टम को चुपचाप देखने के लिए विवश होना पड़ता है।
Flow Of Shambhu River Stopped : इस बीच चमोली में शंभू नदी किसी भी समय बड़ी तबाही मचा सकती है। जानकारी के मुताबिक बागेश्वर के अंतिम गांव कुंवारी के नजदीक बहने वाली शंभू नदी में भूस्खलन होने से प्रवाह रूक गया है और नदी ने झील का रूप ले लिया है। जिसके चलते आए दिन झील का आकार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कयास लगाएं जा रहे है कि यदी झील टूटती है तो चमोली जिले का एक हिस्सा भारी तबाही ला सकता है।
Flow Of Shambhu River Stopped : नदी में बनीं झील
ख़बरें है कि बागेश्वर को चमोली से जोड़ने वाली शंभू नदी भूस्खलन के मलबे से पट गई है जिसके चलते कभी भी प्राकृतिक आपदा आ सकती है। बागेश्वर जिले के अंतिम गांव कुंवारी से करीब दो किमी आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी में झील बनने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उधर झील की सूचना मिलने के बाद तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में आपदा प्रबंधन विभाग की टीम, सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग ने शंभू नदी में बनी झील का निरीक्षण कर डीएम को रिपोर्ट सौंपी है।
Flow Of Shambhu River Stopped : साल 2013 में भी बनीं थी झील
मानसून सीजन पर कपकोट तहसील के आपदाग्रस्त गांव कुंवारी की पहाड़ियों से भूस्खलन होता रहता है। 2013 में भी भूस्खलन के चलते शंभू नदी में झील बन गई थी हालांकि तब बारिश के पानी से नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और हादसा होने से टल गया। इसके बाद 2018 में दोबारा वही हालात बनें लेकिन अब एक बार फिर 2022 तक इस बार नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने से नदी में करीब एक किलोमीटर लंबी और पचास मीटर चौड़ी झील बन गई है।
Flow Of Shambhu River Stopped : बताया जा रहा है कि इसकी जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को दी गई है। उधर माना जा रहा है कि वर्तमान में झील का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है और झील लगभग 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी हो चुकी है। ऐसे में अगर भारी बारिश के चलते झील टूटती है तो चमोली जिले में भारी नुकसान हो सकता है। क्योंकि पिंडर नदी चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ से होते हुए कर्णप्रयाग में अलकनंदा में जाकर मिलती है।
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