उत्तराखंड में गढ़वाल से कुमाऊं तक जंगल आग से धधक रहे हैं। इससे अब तक 581 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वन संपदा को नुकसान हुआ है, वहीं, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी अभी तक सुलगते जंगलों के लिए किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है।
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां इन दिनों धुएं के गुबार में लिपटी हैं, लेकिन इससे निपटने के लिए वन विभाग के पास कोई ठोस प्लान नहीं है । जिसको लेकर अब विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं । कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है की सारे जंगल धधक रहे हैं लेकिन न मंत्रियों का पता है और न मुख्यमंत्री का क्युकी सब चुनाव में मस्त हैं। उन्होंने कहा की जंगलों में आग लगने से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो रहा है , जंगली जानवर पशु पक्षी को नुकसान हो रहा है । पेयजल की समस्या उत्पन्न हो रही है , पहाड़ का तापमान बढ़ रहा है जिसपर संतुलन नही हो रहा लेकिन । सरकार वनगनी के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है और फॉरेस्ट महकमा हाथ में हाथ रख कर बैठा हुआ है ।वहीं भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि सरकार वनाग्नि को पूरी तरह से नियंत्रण करने के लिए जुटी है । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इसकी मोनिटरिंग कर रहे है साथ ही सम्बंधित विभागों द्वारा वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जा रहे है ।