Tehri Landslide Zone : जहां एक तरफ इन दिनों पूरे देश में जोशीमठ के आपदा की आहट धड़क रही है तो वहीं दूसरी ओर टिहरी में भी खतरे की घंटी लोगों को भयभीत कर रही है। टिहरी बांध प्रभावित गांव में भू धंसाव से ग्रामीणों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही है लेकिन शासन-प्रशासन लोगों की मुसीबतों को ध्यान देने के बजाय प्रभावितों को उलझाने में लगी हुई है।
Tehri Landslide Zone : जागो सरकार जागो
जोशीमठ शहर में बिगड़ते हालातों के बीच टिहरी में भी हालात कुछ ठीक नहीं है। आलम यह है कि जोशीमठ भू धंसाव से कराह रहा है तो वही टिहरी में भी भू धंसाव की समस्या से लोग परेशान है। बांध प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन द्वारा उन्हें आश्वासन तो दिया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है जिससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। टिहरी झील के पास बसे गांव में कई ऐसे परिवार हैं जिनके मकानों में दरारें पड़ चुकी है लेकिन उनको विस्थापन करने की कार्रवाई अभी तक नहीं पूरी हो पाई है
Tehri Landslide Zone : जिसके चलते कई ग्रामीण अपने घरों को छोड़ चुके है। लोगों का कहना है की जब विस्थापन की मांग की जाती है तो शासन/ प्रशासन द्वारा उन्हें नियमों में उलझा कर उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है जबकि उन परिवार की जमीन पूरी तरह से टिहरी बांध की झील में डूब चुकी है ऐसे में उनका विस्थापन हीं हो पाया है। इतना ही नहीं टिहरी झील के आसपास बसे ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया लेकिन उनको सिर्फ कार्रवाई के नाम पर आश्वासन ही दिया गया।
Tehri Landslide Zone : परिवार को सवा 4 लाख के प्रति परिवार दिए जा रहे
वही अपर जिला अधिकारी रामजी शरण शर्मा का कहना है कि टिहरी के आपदा से प्रभावित 9 गांवों को चिन्हित कर परिवार को सवा 4 लाख के प्रति परिवार दिए जा रहे है। वही मामले को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट में बांध प्रभावितों की पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट का कहना है कि सरकार को टिहरी बांध प्रभावित गांव में विशेषज्ञ समिति को भेजकर भू धंसाव का आकलन करना चाहिए जिसके बाद इन गांव का विस्थापन हो सकें।
ये भी पढ़ें – महिला अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में मिलेगा 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, राज्यपाल ने दी मंजूरी