प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम के चराइदेव मैदान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किए जाने को गर्व की बात बताया है। आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन स्थलों की सूची में भारत का 43वां स्थल होगा और यह पूर्वोत्तर का पहला सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थल होगा। यह इतना महत्वपूर्ण स्थान क्यों है, इस पर विस्तार से बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि चराइदेव अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के अवशेषों और उनके कीमती सामानों को पारंपरिक रूप से मैदान में रखते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैदान, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य व्यक्तियों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने इसे 13वीं सदी से 19वीं सदी की शुरुआत तक अहोम साम्राज्य के टिके रहने को एक महान उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और मान्यताएं इतनी मजबूत थी कि इसने इस राजवंश को लंबे समय तक जीवित रखा। श्री मोदी ने इस वर्ष 9 मार्च को महान अहोम योद्धा लचित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाचित मैदान में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देकर वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से, अपनी भविष्य की पर्यटन योजनाओं में इस स्थल को शामिल करने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपनी संस्कृति पर गर्व करके ही प्रगति कर सकता है। इस संबंध में भारत में किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने परियोजना ‘परी‘ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है पब्लिक आर्ट ऑफ इंडिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परियोजना सार्वजनिक कला को लोकप्रिय बनाने के लिए उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने का बड़ा माध्यम बन रही है। उन्होंने कहा कि सड़कों के किनारे, दीवारों और अंडरपास पर लगाई गई पेंटिंग इन्हीं कलाकारों ने बनाई हैं। श्री मोदी ने कहा कि इससे न केवल सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि भारतीय संस्कृति को और अधिक लोकप्रिय बनाने में भी मदद मिलती है। उन्होंने दिल्ली के भारत मंडपम और फ्लाईओवर का उदाहरण दिया जिसमें देश भर की कलाकृतियां शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कला और संस्कृति प्रेमियों से सार्वजनिक कला पर और अधिक काम करने का अनुरोध किया।
हथकरघा उद्योग की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने उन्नति स्वयं सहायता समूह में शामिल होने और कपड़ों पर रंगों का जादू बिखरने के लिए हरियाणा के रोहतक जिले की दो सौ पचास महिलाओं की सराहना की। महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर ब्लॉक प्रिंटिंग और रंगाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे आज लाखों रुपये कमा रही हैं क्योंकि उनके बनाए बेड कवर, साड़ियों और दुपट्टों की बाजार में काफी मांग है।
अगले महीने की 7 तारीख को देश में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाएगा। श्री मोदी ने ओडिशा की संबलपुरी साड़ी, मध्य प्रदेश की माहेश्वरी साड़ी, महाराष्ट्र की पैठानी, विदर्भ के हैंड ब्लॉक प्रिंट, हिमाचल की भुट्टिको शॉल तथा ऊनी कपड़े और जम्मू-कश्मीर की कानी शॉल का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कई निजी कंपनियां भी एआई के माध्यम से हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा दे रही हैं। कोशा एआई, हैंडलूम इंडिया, डी-जंक, नोवाटैक्स, ब्रह्मपुत्र फेबल्स और ऐसे कई स्टार्ट-अप हथकरघा उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में लगे हैं। उन्होंने लोगों से अपने स्थानीय उत्पादों को ‘माई प्रोडक्ट माई प्राइड हैशटैग’ के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड करने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने कहा कि कई लोग जो पहले कभी खादी उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे, वे आज बड़े गर्व के साथ खादी के पोशाक पहन रहे हैं। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो चार सौ प्रतिशत की वृद्धि है। श्री मोदी ने बताया कि खादी और हथकरघा की यह बढ़ती बिक्री, बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है। उन्होंने उन श्रोताओं से आग्रह किया, जिन्होंने खादी के कपड़े नहीं खरीदे हैं, वे इस वर्ष से इसकी खरीदारी शुरू करें। उन्होंने कहा कि अगस्त करीब है, खादी खरीदने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री ने श्रोताओं से ओलम्पिक खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड में भारत के विद्यार्थियों के शानदार प्रदर्शन के लिए उनकी प्रशंसा की। इन विद्यार्थियों के नाम हैं – पुणे के रहने वाले आदित्य वेंकट गणेश तथा सिद्धार्थ चोपड़ा, दिल्ली के अर्जुन गुप्ता, ग्रेटर नोएडा के कनव तलवार, मुंबई के रूशील माथुर और गुवाहाटी के आनंदो भादुड़ी। उन्होंने शीर्ष पांच स्थान पाने वाले, देश का नाम रोशन करने वाले इन विद्यार्थियों से बातचीत भी की। पुणे निवासी आदित्य वेंकट गणेश और सिद्धार्थ चोपड़ा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें छोटी उम्र से ही गणित में काफी दिलचस्पी थी और उनके शिक्षक ने भी आगे बढ़ने में उनकी सहायता की। दिल्ली के अर्जुन गुप्ता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। उन्होंने बताया कि गणित के सवाल हल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और इसी के बल पर सफलता हासिल की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के कनव तलवार ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि गणित उनका पसंदीदा विषय है और उन्होंने ओलंपियाड की तैयारी सातवीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी। पिछले वर्ष वे ओलम्पियाड में शामिल होने में सफल नहीं हो सके, लेकिन उनके माता-पिता ने सिखाया कि सफर मायने रखता है सफलता नहीं। इसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने कड़ी मेहनत की और इस मुकाम पर पहुंचे।
रुशिल माथुर और आनंदो भादुड़ी ने प्रधानमंत्री को बताया कि कैसे गणित के डर से छुटकारा पाया जा सकता है और इस विषय में रुचि पैदा की जा सकती है। श्री मोदी ने उन्हें उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और देश का गौरव बढ़ाने के लिए उनकी सराहना की।
मादक पदार्थों की समस्या की चुनौती का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर परिवार चिंतित है कि उनका बच्चा मादक पदार्थों के व्यसन में पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने मानस नामक एक विशेष पहल की है, जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई में एक कदम है। मानस की हेल्पलाइन और पोर्टल हाल ही में लॉन्च किया गया था और एक टोल-फ्री नंबर-1933-जारी किया गया है। श्री मोदी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति पुनर्वास से संबंधित आवश्यक सलाह या जानकारी प्राप्त करने के लिए इस नंबर पर कॉल कर सकता है। अगर किसी के पास ड्रग्स से जुड़ी जानकारी है तो वह इस नंबर पर कॉल करके इसे मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के साथ भी साझा कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानस के साथ साझा की गई सभी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। उन्होंने भारत को ‘मादक पदार्थ मुक्त’ बनाने में लगे लोगों और सभी संस्थानों से मानस हेल्पलाइन का उपयोग करने का आग्रह किया।
कल दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाघ भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं और जंगलों के आसपास के गांवों में लोग बाघ के साथ सद्भाव से रहना जानते हैं। उन्होंने कहा कि बाघ और मनुष्य के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होने पर बाघों की सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “कुल्हाड़ी बंद पंचायत” जनभागीदारी का एक ऐसा ही प्रयास है।
“कुल्हाड़ी बंद पंचायत” अभियान की शुरुआत राजस्थान के रणथंभौर से हुई। श्री मोदी ने कहा कि स्थानीय समुदायों ने शपथ ली है कि वे जंगल में पेड़ काटने नहीं जाएंगे ताकि बाघों के लिए बेहतर वातावरण बनाया जा सके। श्री मोदी ने इको-टूरिज्म की दिशा में तेजी से प्रगति करने के लिए महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व के आसपास गोंड और माना जनजातियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने जंगल पर अपनी निर्भरता कम कर दी है ताकि इलाके में बाघों की गतिविधियां बढ़ सकें. प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश में नल्लामलाई पहाड़ियों पर रहने वाली ‘चेंचू’ जनजाति के प्रयासों की भी सराहना की। टाइगर ट्रैकर्स के रूप में, उन्होंने जंगल में जंगली जानवरों की आवाजाही के बारे में जानकारी एकत्र की है। वे क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर भी नजर रख रहे हैं। श्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में चल रहे ‘बाघ मित्र कार्यक्रम’ का भी उल्लेख किया। इसके तहत स्थानीय लोगों को ‘बाघ मित्र’ के रूप में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। ये ‘बाघ मित्र’ सख्ती से सुनिश्चित करते हैं कि बाघों और इंसानों के बीच कोई संघर्ष न हो।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बाघ संरक्षण में जनभागीदारी बहुत उपयोगी साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों के कारण ही भारत में बाघों की आबादी हर साल बढ़ रही है।
श्री मोदी ने कहा कि बाघों की आबादी में वृद्धि के साथ-साथ देश में वन क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बड़ी संख्या में लोग ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से जुड़ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल ही में अभियान के तहत इंदौर में एक ही दिन में दो लाख से अधिक पौधे लगाए गए थे। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अपनी मां के नाम पर पौधे लगाने के इस अभियान से जुड़ें और सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।
प्रधानमंत्री ने श्रोताओं से 15 अगस्त नजदीक आने पर हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने के लिए भी कहा। उन्होंने रेखांकित किया कि हर घर तिरंगा अभियान तिरंगे की शान को कायम रखने का एक अनूठा उत्सव बन गया है। उन्होंने लोगों को ‘hargarhtiranga.com‘ पर तिरंगे के साथ अपनी सेल्फी अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस से पहले मायगॉव या नमो ऐप पर उनके सुझाव भी मांगे और कहा कि वह स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यथासंभव अधिक से अधिक सुझावों को शामिल करेंगे।