Martyr Chandrashekhar Harbola : बुधवार को शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ हल्द्वानी के चित्रशिला घाट पर कर दिया गया है। शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला की दोनों बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी तदाद में लोगों का हुजुम उमड पड़ा। वहीं अंतिम संस्कार से पहले सीएम धामी, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य समेत कई नेताओं ने शहीद के परिजनों से मुलाकात कर शहीद को श्रद्धांजलि दी।
Martyr Chandrashekhar Harbola : अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे सीएम धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 1984 में सियाचिन में आपरेशन मेघदूत के दौरान शहीद हुए लांसनायक चन्द्रशेखर हर्बोला के पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। बुधवार को जैसे ही शहीद चन्द्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर डहरिया स्थित उनके आवास पर पहुँचा पूरा क्षेत्र देश भक्ति नारों से गुंजायमान हो गया। इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि शहीद चन्द्रशेखर जी के बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लिए बलिदान देने वाले उत्तराखंड के सैनिकों की स्मृति में सैन्यधाम की स्थापना की जा रही है। शहीद चन्द्रशेखर की स्मृतियों को भी सैन्यधाम में संजोया जाएगा।
38 साल पहले सियाचिन में हुए थे शहीद
Martyr Chandrashekhar Harbola : मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। चंद्रशेखर हरबोला 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। 1984 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन को लेकर झड़प हुई थी तो तब भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा था। इस दौरान भारत की ओर से सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थी जिसमें लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला भी शामिल थे।
लेकिन इस मिशन में सभी सैनिक सियाचिन में ग्लेशियर टूटने की चपेट में आ गए और जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं बची। ऐसे में भारत सरकार और सेना द्वारा सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया जिसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था।
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