
हरिद्वार नगर निगम द्वारा जमीन खरीद प्रकरण में हरिद्वार डीएम, तत्कालीन नगर आयुक्त, एसडीएम समेत एक दर्जन अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि देवभूमि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त करने का संकल्प हमारी सरकार ने लिया है और इसके तहत 100 से अधिक नकल माफियाओ को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है। वही हेल्पलाइन नंबर 1064 पर आई शिकायतों के आधार पर भी 200 से अधिक मामलों में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई हुई है। हरिद्वार प्रकरण पर उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आने पर एक जांच अधिकारी के द्वारा इसकी जांच करवाई गई थी और उसके बाद जांच रिपोर्ट की समीक्षा की गई। जो भी दोषी पाए गए हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनको निलंबित किया गया है। साथ ही आगे विजिलेंस भी जांच करेगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रेताओं के खातों को भी सीज कर दिया गया है और प्रयास यही है कि नगर निगम का पैसा वापस आए और अन्य प्रकरणों में भी नगर निगम में कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी भी आगे जांच की जा रही है।
इन बड़े नामों पर गिरी सरकार की गाज
1. हरिद्वार जमीन घोटाला : 2 IAS और 1 PCS अफसर समेत कुल 12 लोग सस्पेंड
2. रामविलास यादव (IAS अधिकारी):
आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल
3. किशन चंद (IFS अधिकारी):
वन विभाग से जुड़े इस वरिष्ठ अधिकारी पर पद के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल
4. RBS रावत, पूर्व IFS अधिकारी / पूर्व चेयरमैन UKSSSC :
परीक्षा धांधली मामले में जेल
5. हरमिंदर सिंह बवेजा (उद्यान निदेशक):
बागवानी विभाग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के कारण निलंबित किए गए।
6. अमित जैन (वित्त नियंत्रक, आयुर्वेद विश्वविद्यालय):
भ्रष्टाचार संबंधी आदेशों की अनदेखी और वित्तीय नियमों की अवहेलना पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
7. भूपेंद्र कुमार (उपमहाप्रबंधक वित्त, परिवहन निगम):
रिश्वत लेने और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों में निलंबन। विजिलेंस द्वारा विस्तृत जांच चल रही है।
8. महिपाल सिंह (लेखपाल):
रिश्वत मांगने के मामले में रंगे हाथ पकड़े गए। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।
9. निधि यादव (PCS अधिकारी):
विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद उनके खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू की गई है।
10. रामदत्त मिश्र (उप निबंधक, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग):
स्टांप शुल्क व भूमि पंजीकरण में अनियमितताओं के कारण निलंबित।
11. राज्य कर विभाग के अधिकारी वी.पी. सिंह, डॉ. कुलदीप सिंह और यशपाल सिंह:
इन वरिष्ठ अधिकारियों को कार्य में घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के संदेह पर तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
*सेवानिवृत्त अधिकारी भी नहीं बचे जांच के दायरे से*
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ वर्तमान में कार्यरत ही नहीं, बल्कि सेवानिवृत्त अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे यदि उन्होंने सेवा काल में कोई अनियमितता की हो।
कुशाल सिंह राणा और राजेन्द्र डबराल (सेवानिवृत्त लेखपाल): ज़मीन कब्जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज।
मृत्युंजय मिश्रा (पूर्व रजिस्ट्रार, आयुर्वेद विश्वविद्यालय): भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर जांच प्रक्रिया जारी।
रजनीश कुमार पांडे (सीनियर गोदाम अधिकारी, GBPUAT पंतनगर): आय से अधिक संपत्ति मामले में केस दर्ज।

