International Women’s Day 2022 : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान की जो जंग शुरू हुई जिसमें महिलाएं आज वास्तव में कितनी बराबरी कर पायी है ये दिन उसी उपलक्ष में मनाया जाता है, देश की आजादी के बाद से देश के अंदर जहां जातिवाद और समान अधिकारों की जंग लगातार जारी रही, उसी में महिलाओं के अधिकारों की जंग भी शामिल थी, मगर आद देश की महिलाओं ने हर मोर्चे पर ये साबित कर दिया है, कि महिलाएं किसी से कम नहीं, आइये आज हम आपको मिलते हैं कुछ ऐसी महिलाओं से जिन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए मुकाम हासिल कर मिसाल बने हैं।
International Women’s Day 2022 : मंजिल हासिल कर आज दुसरों के लिए भी मिसाल बनी है
हवा की सैर हो, या जंग का मैदान, शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर हो या हो जीवन देने का काम हर क्षेत्र में आज महिलाएं पुरुषों के बराबर खडी है, और कन्धे से कन्धा मिलाकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे रही है, यही नहीं घर संभालने से लेकर रोजगार संभालने तक का जिम्मा आज महिलाएं खुद के कन्धों पर लेकर खडी है, आत्मनिर्भरता की मिसाल एसी कई महिलाएं है जिन्होंने खुद को साबित करने में अपने जज्बे को नहीं छोडा, और मंजिल हासिल कर आज दूसरों के लिए भी मिसाल बनी है,
रुबी ने आज दुसरी महिलाओं के लिए बनी एक मिसाल
ऐसी ही है काशीपुर कोतवाली क्षेत्र में तैनात एसआई रूबी मौर्य, जिन्होने स्कूल से लेकर पुलिस में भर्ती होने तक का अपना सफर कई कठिन परिस्थितियों से लड़कर तय किया, रुबी एक एसे छोटे गांव से थी जहां महिलाओं का स्कूल जाना ही लोगों को खटकता था, लेकिन कुछ बनने की हसरत ने रूबी के इरादों को नहीं तोड़ा और रुबी ने अपनी मंजिल हासिल आज दुसरी महिलाओं के लिए एक मिसाल है।
International Women’s Day 2022 : डा सुधा पाटनी ने संघर्षों की सीढ़ियां चढ़कर मुकाम किया हासिल
वहीं महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत डा सुधा पाटनी ने भी संघर्षों की सीढ़ियां चढ़कर वो मुकाम हासिल किया जिससे आज उनकी कामयाबी पर हर किसी को गर्व है, दर्सल सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली डा सुधा को परिवार से तो पूरा सहयोग मिला, लेकिन उनकी दुसरों से अलग कुछ करने के जज्बे के बीच कई अड़चने भी आयी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और महिलाओं रोग विशेषज्ञ बनकर महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर दुसरों के लिए एक आइडल बनी है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज उन सभी महिलाओं का भले ही स्मरण किया गया हो जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना कर मुकाम हासिल किया है, लेकिन आज भी महिलाओं को खुद को साबित करने के लिए चुनौतियों की आंच से होकर गुजरना पडता है, ये कहना गलत नहीं होगा कि, कौन कहता है आसमां पर छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों, जी हां अगर लगन सच्ची हो और इरादे मजबूत तो आपको मंजिल पाने से कोई रोक नहीं सकता।
ये भी पढ़ें –दिल्ली देहरादून एनएच के चौड़ीकरण करने के मामले हाईकोर्ट ने की सुनवाई , लिया ये निर्णय