Uttarakhand 21 Foundation Day : उत्तरप्रदेश राज्य से अलग होकर बने उत्तराखंड राज्य ने भले ही अपनी पहचान बनाई हो लेकिन 21 साल के इस राज्य ने अपने गठन से लेकर अबतक कई उतार चढ़ाव देखें हैं। इस दौरान जहां उत्तराखंड ने कई क्षेत्रों में अपना लौहा मनवाया तो वहीं कुछ ऐसे जख्म भी है जिनका दर्द आज तक महसूस किया जाता है इस खास रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि उत्तराखंड ने क्या हासिल किया और क्या जख्म उत्तराखंड को मिले।
Uttarakhand 21 Foundation Day : क्या खोया क्या पाया
उत्तराखंड राज्य को बने 21 साल हो गए है। इन 21 सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया। हमे किस दिशा में जाना था और हम कहां जा रहे हैं। हम सही रास्ते पर जा रहे हैं या भटक गए हैं। कई सवाल हमारे जेहन में हैं। दरअसल उत्तराखंड राज्य कोई खैरात में मिला राज्य नहीं है, ये शहीदों की कुर्बानियों का प्रतिफल है। इस राज्य की बुनियाद में उस मां के संघर्ष के पत्थर लगे हैं जिसने बेटों के सुनहरे कल के लिए उन घरों की देहरियों की ही नहीं लांघा बल्कि गांव की पंगडंडियों को पार कर सड़कों पर आकर उत्तराखंड के लिए आवाज लगाई। इस राज्य की बुनियाद को शहीदों ने अपने खून से सींचा है तब जाकर ये राज्य बना है,ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि हम किस रास्ते पर जा रहे हैं। पिछले 21 सालों हमारे लिए कैसे रहे हैं। क्योंकि इतिहास से सबक लेने वाले अपना भविष्य सुधार लेते हैं और गुजरे कल को बिसर जाने वाले आने वाले कल के लिए रास्ता नहीं तलाश पाते।
21 सालों में कई बार लड़खड़ाया उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य बने हुए आज 21 साल हो गए है या 21 सालों का वक्त इतना भी कम नहीं होता कि, क्या खोया क्या पाया का आंकलन करना बेइमानी माना जाय बल्कि यही समय वास्तविक आंकलन का है कि जंहाँ विश्लेषण किया जाये कि क्या सही है और क्या गलत। इन 21 साल का उत्तराखंड का राजनैतिक सफर देखे तो वह अस्थिरता नजर आता है। बता दें कि अब तक उत्तराखंड ने 11 मुख्यमंत्री और ना जाने कितने वर्तमान, निवर्तमान और पूर्व दायित्वधारियों की फ़ौज, सरकारी गैरसरकारी संगठन देखें है। गौर किया जाए तो आज तक उत्तराखंड पलायन की पीड़ा से ग्रस्त है। तो वही आपदाओं से भी उत्तराखंड अक्सर जुझता है जो साफ तौर पर सरकार की नाकामियों पर सवाल खड़ा करता है। जो उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य कहा जाता था वो आज मैदानों में बस चुका है। उत्तराखंड के गांव—खेती आज बंजर—वीरान हो चुकें है। देश के शहर और कस्बे जहाँ जवान हो रहे है तो वहीं उत्तराखंड के गाँव वीरान और बूढे स्पीड स्केल और स्किल के पैमानों पर इस पहाड़ी राज्य की आशायें निरंतर टूट सी रही हैं। निरंतर होते पलायन के कारणों पर चर्चा के दौरान रोजगार को मुख्य कारण माना जाता रहा है किंतु इस भूभाग के लिये ये प्रश्न है कि क्या रोजगार के अवसरों का ना होना ही उत्तराखंड के पहाडों से पलायन का मुख्य कारण है? या असल कारण कुछ और ही हैं, जिन्हे आज तक असल मायनों में समझा नहीं गया। उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड ने कई सपने देखे थे जैसे रोजगार, बिजली,पानी,शिक्षा आदी लेकिन सही मायनों में आज भी उत्तराखंड इन सबसे महरूम है।
Uttarakhand 21 Foundation Day
उत्तराखंड की नाकामियां
स्वच्छ राज्यों की दौड़ में पिछड़ा उत्तराखंड
जंगली जानवरों के संरक्षण में भी नाकाम उत्तराखंड
मुलभूत सुविधाओं के आभाव में लगातार हो रहा पलायन
पहाड़ों में स्वास्थय,शिक्षा,सड़कों की स्थिति है बदहाल
प्रदेश में बेरोजगारी का भी बढ़ रहा है ग्राफ
उत्तराखंड में अबतक रही राजनैतिक अस्थिरता
उत्तराखंड राज्य को विरासत में मिला कर्ज,55 हजार करोड़ पहुंचा आंकड़ा
ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में आज क्या कुछ रहेगा खास जानिए एक नज़र में
राज्य की उपलब्धियां
भले ही 21 साल के इस उत्तराखंड की नाकामियां कई रही होंगी लेकिन दूसरे पहलू पर गौर किया जाए तो उत्तराखंड की कई ऐसी उपलब्धियां है जो आज देश—विदेश तक मशहूर है। बता दें कि इस राज्य को यू ही देवभूमि नहीं कहा जाता क्योंकि इस राज्य में देवताओं का वास है चारधाम, हेमकुंड साहिब,
पंचकेदार,पंचबदरी,देव स्थल और गंगा यमुना नदी का आगमन इसी राज्य से है। बद्रीनाथ,केदारनाथ,गंगोत्री,यमुनोत्री, जैसे पवित्र चारधाम की पहचान देश विदेश में रह रहे लोगों तक फैली है। यहां हर साल रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु देश विदेश से दर्शन के लिए आते है जो कही न कही उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए एक उपलब्धि है। साथ ही देवभूमि में पांचवा धाम सैन्य धाम कहा जाता है, पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में उत्तराखंड को पांचवा धाम के तौर पर सैन्य धाम का दर्जा दिया था क्योंकि देश की सेवा में उत्तराखंड के जवान सबसे ज्यादा है। तो वहीं दूसरी ओर आर्थिक तौर पर भी उत्तराखंड दिन प्रतिदिन तरकी की सिढ़िया चल रहा है। बात इन्वेस्टर समिट की करे या आयुष्मान योजना की,बात फ़िल्म हस्तियों की उत्तराखंड आकर फ़िल्म बनाने की करे या जीरो टॉलरेंस पर एक्शन लेने की,राज्य में 2019 में कई ऐसे मामले हुए जो यादगार रहे और कई उपलब्धियां भी जुड़ी जिससे उत्तराखंड को अलग पहचान मिली।
औद्योगिक क्षेत्र में आया उछाल
ऊर्जा प्रदेश बना उत्तराखंड
गैरसैंण के रूप में उत्तराखंड को मिली ग्रीष्मकालीन राजधानी
ऑल वेदर रोड काम ने पकड़ी रफ्तार
पहाड़ पर रेल का सपना और एयर कनेक्टिविटी भी बढ़ी
उत्तराखंड को मिली है बीसीसीआई की मान्यता
सेना के नेतृत्व में भी उत्तराखंड आगे
Uttarakhand 21 Foundation Day
उत्तराखंड ने रणजी ट्रॉफी में किया डेब्यू
फिल्मों की शूटिंग के लिए डायाक्टरों की पसंद बना उत्तराखंड
देश की सेवा में उत्तराखंड के सपूत हैं आगे
उत्तराखंड में है भारत का पहला कृषि विश्वविघालय
एडवेंचर हब के रूप में भी उभर रही देवभूमि
उत्तराखंड से निकले हैं कई फिल्मी कलाकार
पर्यटकों को लुभाने में भी देवभूमि है आगे
देश की राजनीति में भी उत्तराखंड का है अहम योगदान
एशिया का नंबर वन डैम टिहरी डैम
मोस्ट फिल्म फ्रेंडली अवार्ड 2019 भी रहा उत्तराखंड के नाम
Uttarakhand 21 Foundation Day