उत्तराखंड में 10 मई से शुरू होने जा रही विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर है। शासन से लेकर प्रशासन तक हर कोई चार धाम यात्रा की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। तो वहीं यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है अब तक 12 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके है।
देवभूमि उत्तराखंड यहां कण कण में देवी देवताओं का वास है। सूबे की धार्मिक मान्यताओं की छटा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बिखरी हुई है यही वजह है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु देवभूमि के दर्शन करने के लिए उत्तराखंड पहुंचते है। खासकर चारधाम यात्रा सीजन में देवभूमि उत्तराखंड तीर्थ यात्रियों से पट हो जाता है। ऐसे में 10 मई से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा को लेकर भी शबाब जोरों पर है। लाखों की तादात में तीर्थयात्री चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहे है। वहीं चारधाम यात्रा को लेकर भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है की उत्तराखंड की चार धाम यात्रा आर्थिकी की रीड मानी जाती है एक सप्ताह के अंदर ही 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना उत्साहित जनक है। सरकार चार धाम यात्रा की व्यवस्थाओं के लिए पूरे तरीके से तैयार है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार चार धाम यात्रा की तैयारी की मॉनीटरिंग कर रहे हैं और साथ ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने केदारनाथ धाम में प्रवास कर वहां के कार्यों की समीक्षा की। यात्रा सुगम हो और श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े इसके लिए सरकार व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने में जुटी हुई है।
एक तरफ जहां सरकार चारधाम यात्रा की तैयारियां में जी जान से जुटी हुई है। सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी चार धाम यात्रा से सभी संबंधित सभी विषयों को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं। तो वही कांग्रेस संगठन महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि बैठकर कर बात नहीं बनने वाली है मुख्य सचिव केदारनाथ धाम का दौरा कर धरातल पर व्यवस्थाओं को परख कर आई है ऐसे में सरकार सभी व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करें। सरकार को 3 महीने पहले से ही पेयजल की समस्या, रास्ते बनवाने, डॉक्टरों की तैनाती आदि सभी व्यवस्थाओं को पूरा कर लेना चाहिए था लेकिन एन टाइम पर व्यवस्था करना नाकामी दर्शाता है पहले से यदि तैयारी होती तो रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु यहां पहुंचते लेकिन सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए भीड़ को नियंत्रित करना है जिसपर सरकार को ठोस रणनीति बनानी पड़ेगी।