Danger Lakes of Kumaon जोशीमठ की आपदा का दंश झेल रहे उत्तराखंड में अब दूसरे बड़े खतरे की घंटी भी बजने लगी है। पहले ही मौजूदा जोशीमठ के हालतों के चलते इस बार श्रद्धालु और पर्यटक उत्तराखंड आने से घबराए हुए हैं तो वही कुमाऊं यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च ने सरकार और लोगों की नींद उड़ा कर रख दी है। ग्लेशियर वाले क्षेत्रों में 77 नई झीलों बनकर तैयार हो गई है जो कभी भी कुमाऊं के एक बड़े हिस्से को तबाह कर सकती है।
एक हिस्सा हो सकता है तबाह
उत्तराखंड जब भी आपदाओं से उभरकर लड़ने की कोशिश करता है तब तब त्रासदी प्रदेश को अपने आगोश में ले लेती है। आलम ये होता है की प्रदेश में हर साल आपदा, भूकंप और जमीन के फटने से कोई न कोई तबाही आती है। ऐसे में अब कुमाऊं यूनिवर्सिटी की रिसर्च नहीं जो चौंकाने वाले खुलासे किए हैं उसे सुनकर हर कोई खौफ में है। कुमाऊं यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि कुमाऊं के ऊपरी क्षेत्रों में 77 झीलें बनकर तैयार हो गई है जिसके चलते कुमाऊं में खतरा बढ़ गया है ।उन्होंने कहा कि तापमान के बढ़ने से इन झीलों का किनारा लगातार कमजोर हो रहा है और अचानक से पानी नीचे की आने की वजह से कुमाऊं का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में कभी भी आ सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि अगर समय रहते इससे नहीं निपटा गया तो जैसी तबाही देश ने केदारनाथ में देखी उसी तरह के मंजर कुमाऊं में भी देखने को मिल सकते है।