
देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में जूनियर डॉक्टरों की शर्मनाक करतूत ने न सिर्फ संस्थान की प्रतिष्ठा को तार-तार किया, बल्कि मरीजों और उनके परिवारों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। शराब के नशे में धुत होकर अर्धनग्न अवस्था में अश्लील हरकतें और हुड़दंग मचाने की इस घिनौनी घटना ने कॉलेज प्रशासन को आगबबूला कर दिया है। यह कोई मामूली अव्यवस्था नहीं, बल्कि मेडिकल कॉलेज की गरिमा, अनुशासन और पवित्रता पर सीधा हमला है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा! प्राचार्य डॉ. मंजू जैन ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि इस घृणित कृत्य में शामिल हर दोषी को कठोरतम सजा भुगतनी होगी—कोई रियायत, कोई माफी नहीं! जांच कमेटी तत्काल गठित कर पूछताछ शुरू कर चुकी है, और प्रशासन ने साफ कर दिया है कि दोषियों को न सिर्फ चेतावनी, बल्कि निलंबन, कानूनी कार्रवाई और उनके भविष्य के पेशेवर अधिकारों पर कड़ा प्रहार सुनिश्चित किया जाएगा। सबसे घोर लज्जाजनक बात यह है कि हॉस्टल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त साबित हुई। घंटों तक चली इस नंगई भरी पार्टी के दौरान ड्यूटी पर तैनात गार्ड्स ने नाक के नीचे सब कुछ अनदेखा किया। इतना ही नहीं, इन निकम्मे सुरक्षा कर्मियों ने बिना प्राचार्य, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट या वार्डन को सूचित किए पुलिस को परिसर में घुसने दिया—यह सिस्टम की घोर विफलता और आपराधिक लापरवाही का जीता-जागता सबूत है! प्रशासन ने अब सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि ऐसी लापरवाही दोबारा बर्दाश्त नहीं होगी।
यह सिर्फ कुछ शरारती छात्रों का मसला नहीं, बल्कि संस्थान की जड़ों में सड़ रही व्यवस्था और जिम्मेदारियों की बेशर्म अनदेखी का पर्दाफाश है। प्रशासन ने तुरंत कदम उठाते हुए गार्ड्स की रोटेशन नीति को उलट-पुलट कर कुछ को स्थायी रूप से हॉस्टल में तैनात करने का फैसला किया है, ताकि जिम्मेदार लोग हर पल नजर रखें और ऐसी घिनौनी हरकतों को कुचल सकें। साथ ही, सूचना न देने वाले सुरक्षा कर्मियों को कठोर सजा और अनुशासनात्मक कार्रवाई का दंश झेलना होगा। हॉस्टल में फैली इस अराजकता और सार्वजनिक स्थान पर किए गए इस घृणित व्यवहार ने साफ कर दिया है कि अब सिर्फ बयानबाजी या मामूली सजा से काम नहीं चलेगा। प्रशासन को चाहिए कि दोषी छात्रों के खिलाफ तत्काल निलंबन, स्थानीय कानूनों के तहत एफआईआर, और उनके मेडिकल करियर पर स्थायी दाग लगाने जैसे कठोर कदम उठाए जाएं। यह संदेश पूरे देश में गूंजना चाहिए कि मेडिकल संस्थानों में अनुशासन और मर्यादा का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं! दून मेडिकल कॉलेज ने इस मामले को दबाने की बजाय आक्रामक रुख अपनाया है—कठोर जांच, लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई, और सुरक्षा व्यवस्था का पूर्ण पुनर्गठन। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन अपने इन तीखे वादों को उतनी ही तेजी और क्रूरता से लागू करेगा? क्योंकि शब्दों की गूंज से व्यवस्था नहीं सुधरती—सुधरती है बेरहम कार्रवाई से!

