रानीपोखरी के शांतिनगर गांव में 100 आम के पेड़ों को काटे जाने की घटना पर जिस नाटकीय ढंग से पर्दा डालने की कोशिश हुई वह वन और उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। एक ओर वन विभाग ने पेड़ काटने वाले तस्करों को पकड़ने के बाद छोड़ दिया कि मामला उद्यान विभाग के अधिकार क्षेत्र का है। वहीं उद्यान विभाग घटना की जानकारी होने से ही इन्कार कर रहा है।
करीब रात दो बजे वन विभाग की उड़नदस्ता टीम को इस घटना की जानकारी मिली और विभाग की टीम सभी तस्करों को पकड़ कर रेंज कार्यालय ले आती है। यहां कुछ ऐसा नाटकीय घटनाक्रम होता है कि वन विभाग पकड़े गए सभी तस्करों को यह कहकर छोड़ देता है कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है। मामले में कार्रवाई करने का अधिकार उद्यान विभाग को है। जबकि वन विभाग पकड़े गए इन तस्करों को उद्यान विभाग के सुपुर्द कर सकता था। अब वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि हमने मामले की सूचना तत्काल उद्यान विभाग को दे दी है। उद्यान विभाग के अधिकारी इस प्रकार की किसी भी सूचना से साफ इन्कार कर रहे हैं। उद्यान विभाग का कहना है कि न तो उन्होंने किसी को आम के पेड़ काटने की अनुमति दी है और न ही किसी व्यक्ति या विभाग ने ऐसी किसी घटना की जानकारी दी है। वन विभाग और उद्यान विभाग की इस कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। वही कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।