Harak Singh Rawat New Politics : क्या नई राजनीति का द्वार खोलने की तैयारी में है हरक, धर्मनगरी हरिद्वार से संजीवनी की कर रहे तलाश!

Harak Singh Rawat New Politics : राजनीति भी इंसान से क्या—क्या करवाती है ये सवाल उत्तराखंड के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत पर सटीक बैठता है। जिस व्यक्ति का एक समय पर बोल बाला हुआ करता था आज वहीं नेता अपनी पहचान बनाने में कहीं गुम सा दिखाई दे रहा है। आलम ये है कि विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पर भाजपा से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत को कांग्रेस से उम्मीदें जगी और उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामने के बाद लैंसडौन से बहू अनुकृति गुुसाईं को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतारा लेकिन वहां भी हरक को सफलता हासिल नहीं हुई। इस बीच ख़बरें है कि कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत एक पावरफुल कमबैक कर सकते है और वह हरिद्वार से संजीवनी की तलाश में जुट गए है।

Harak Singh Rawat New Politics

Harak Singh Rawat New Politics : हरक की जगी आस

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हरिद्वार से राजनीतिक संजीवनी लेकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के बाद अब पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की भी धर्मनगरी हरिद्वार से आस जग गई है। माना जा रहा है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में हरक बहू की हार के बाद हरिद्वार को अपनी राजनीति का द्वार बनाने की तैयारी में जुट गए है। जिसको लेकर हरक सिंह रावत ने बीते दिन कांग्रेस नेताओं के साथ संत ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से आशीर्वाद लेकर रास्ता तैयार करने की शुरूआत भी कर दी है।

Harak Singh Rawat New Politics

Harak Singh Rawat New Politics : बता दें कि कई चुनाव में सफल नहीं होने पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत काफी टूट चुके थे लेकिन 2009 में पार्टी आलाकमान ने उनपर भरोसा जताकर लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था उस समय हरीश रावत ने स्वामी यतींद्रानंद गिरी को मात देकर लोकसभा चुनाव जीत गए। इतना ही नहीं हरीश रावत के राजनीति में दमदार वापसी के बाद उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री भी बनाया। लेकिन 2017 में उनके नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में हरीश रावत खुद दो सीटों से चुनाव हारने के साथ ही पार्टी की भी जबरदस्त हार हुई।

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Harak Singh Rawat New Politics : फिर हरीश रावत 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में लालकुआं से भी हार गए लेकिन उनकी बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से विधायक निर्वाचित हुई हैं। उधर हरक सिंह रावत की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से हरीश रावत के लिए यहां से फिर से मैदान में आना मुश्किलों भरे पहाड़ से कम नहीं होगा क्योंकि हरक के समर्थन में खड़ी हुई एक लॉबी हरीश के अरमानों पर पानी फेरने का काम कर सकती है। वहीं अब कयास लगाए जा रहे है कि हरीश रावत के बाद हरक सिंह रावत की निगाहें भी हरिद्वार लोकसभा सीट पर टकटकी लगाए हुए है।

 

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